भारत में यातना के खिलाफ मजबूत कानून बहुत ही जरूरी
सरकारी कर्मियों विशेषकर पुलिस थानों में टार्चर की रोकथाम के लिए'' यातना निवारक विधेयक ''२०१७ को जल्द से जल्द पारित कर कानून के रूप में लाया जाना बहुत ही जरूरी है, क्योकि अभी तक इंडिया ने १९७५ की संधि जो यूनाइटेड नेशन में की है लेकिन उसको अभी तक पुष्टि नहीं किया है, ऐसे में इस संधि को मूर्त रूप देने के लिए इंडिया को संधि के प्रावधानों के अनुसार ही एक डोमेस्टिक लॉ बहुत ही जल्दी बनाने की आवश्यकता है , यातना , मनवा जीवन की गरिमा को गिराने का एक brutal एक्ट है जो ह्यूमन राईट का नितांत उल्लंघन है, हिरासत में अपराध से जुड़ी विधि आयोग की 152वीं रिपोर्ट में भी यातना को दंडनीय बनाने के लिए कानून में परिवर्तन करने के लिए suggestकिया है , किसी अपराध की जांच के दौरान किसी की स्वीकारोक्ति या जानकारी हासिल करने के लिए उसे यातना देने वाले लोक सेवक को दंडित किया जाना चाहिए , निष्कर्ष यह है की जितना जल्दी हो सके यातना के खिलाफ अब कानून बन जाना चाहिए, नहीं तो हमारा देश'' यातना के चैम्बर '' वाले देश के रूप में जाना जायेगा ?तभी हम सही मायनो में आज़ाद देश के नागरिक कहला सकते है , विनय कुमार पाण्डेय अधिवक्ता /human right activist,(http://savehumanitysociety.blogspot.in/2018/01/blog-post.html) डिस्ट्रिक्ट महाराजगंज , उत्तर प्रदेश २७३३०३, ब्लॉग date 12 -1-2017 mobile number 9839924605

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